कैसे बदले जज़्बात मेरे , बताओ जरा हमको भी ,
यू जज़्बात केसे बदल देते हो , यू तो गुस्ताहिया माफ की हमने हजार ,
यह जज्बातों को बदलने का हुनर कहां से लाते हो ,
तेरे शहर में आना ऐसे हुआ , अपना शहर छोड़ आए पीछे ,
लौटे केसे शहर में अपने , तेरे शहर के अलावा पसंद नहीं कुछ ।
By:- Kshma Rastogi
👌👌👌👌
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