दोस्तो आज मैं क्षमा रस्तौगी आपको बताएगी अपनी खुद की अनुभूति ट्रेन छूट जाने की ।
दोस्तो जब आप नए शहर में जाते हैं , तब आपके दिल में हजार प्रश्न होते है , होने भी लाजमी है , दोस्तो यह मेरी अनुभूति हाल ही की है, चलिए मैं अपना अनुभव आपको बताएगी जब मेरी ट्रेन छूट गई तब मुझे कैसा महसूस हुआ ।
जब मैं प्लेटफॉर्म पर पहुंची , तब ट्रेन आने में बहुत समय था , इसलिए प्लेटफॉर्म पर ही बैठ कर ट्रेन का इंतजार हो रहा था , जब ट्रेन का समय हुआ तब अपनी कुछ अस्वधानी करते हुए , मुझसे ट्रेन छूट गई , ट्रेन मेरी आंखों के सामने से जा रही थी और पता नहीं चला जो ट्रेन जा रही हैं वो ट्रेन ही है जिससे मुझे सफर तय करके अपने घर जाना है , जब ट्रेन चली गई तब कुछ गड़बड़ होने पर वहां कुछ लोगो से पूछा , ट्रेन संख्या देखा कर , जब लोगो ने बताया यह ट्रेन अभी यही से गई है , बहुत देर तक विश्वास नहीं हुआ , और बहुत डर इस वजह से लगने लगा अब घर कैसे पहुंचे ? डर इतना लगने लगा कि आंखो से आंसू रुक नहीं रहे , कुछ लोगो के पूछने पर बताया मेरी ट्रेन छूट गई है अब मैं घर जा सकती , कुछ लोगो ने कहा तुमने घर बताया , घर पर फोन करने की भूल गई थी , तभी किसी के कहने पर घर पर फोन करा और कहा ट्रेन छूट गई अब घर कैसे आओ , फोन पर रोते रोते कहने लगी , घरवाले सब यही कह रहे पहली पहली बार होता है , परेशान ना हो , वही टीटी से संपर्क करो और दूसरी ट्रेन से आजाओ , घरवाले सब यही कह रहे हमसे भी बहुत बार ऐसा हुआ है जब बाहर निकलते हैं तब ऐसा कभी कभी होना लाजमी है , घरवालों के समझाने से भी कुछ फर्क नहीं हो रहा था बस दिल रोने का कर रहा , तभी वहां कुछ यात्रियों में कुछ युवक आए और उन्होंने पूछा , आपको कहां जाना है , पूछें जाने पर अपना पता बताया , एक युवक ने बताया तुम्हारे यहां एक ट्रेन जा रही है अगर कहो तो इस ट्रेन से चली जाओ , उन युवक की बात मान कर अपना रिजर्वेशन उस ट्रेन में करवा लिया , अब उन युवकों की भी ट्रेन का समय हो रहा था , वो युवक मुझे हिम्मत देकर जाने लगे , मुझे लगा इन युवक का नंबर लेना चाहिए , तो उन युवक से कहकर उनका नंबर लेकर उनको जाने दिया , लेकिन अभी भी ट्रेन छूट जाने का गम बहुत था , अब ट्रेन दूसरे प्लेटफॉर्म पर आनी थी , अब वहां हिम्मत करके चले गए , वहां भी रो रहे थे , जब घरवालों का फोन आया और कहा अगर रोती रहोगी तो लोग कमजोर समझने लगेंगे , बहुत समझने पर खुद को संभाला और वहां बैठ गए , कुछ टीचर को फोन करके बताया कि ट्रेन छूट गई है , टीचर ने भी बिलकुल घरवालों की तरह समझाया , फिर कुछ समझ आया और शांत हुए , अब एक जगह बैठ गए ।
अब जिस दूसरे प्लेटफॉर्म पर बैठे थे वहां एक युवक जो सहउम्र का था , उससे बात होने लगी तथा एक दूसरे का परिचय होने लगा , परिचय होते समय पता चला , यह युवक भी मेडिकल कॉलेज का छात्र है जो अपने घर जा रहा है मेरी तरह ।
अब उस युवक के साथ काफी समय व्यतीत किया , अब हम दोनो ने एक दूसरे की ट्रेन में सीट ढूंढने में मदद करने लगे , जब दोनो को सीट मिल गई , तब थोड़ा प्लेटफॉर्म पर टहलने लगे , अब उस युवक की ट्रेन का समय होगया था , फोन नंबर लेकर अलविदा कह कर अपनी ट्रेन में बैठ गए ।
मेरा सफर भी कुछ घंटे बाद शुरू हो गया ।
🤗🤗🤗
दोस्तो मेरा सफर कुछ इस तरह रहा । 😉
दोस्तो , मैं यही कहना चाहोगी जब भी आप सफर करे पहले उस बारे में जानकारी प्राप्त करें फिर सचेत हो कर अपना सफर तय करे और सफर का आनंद ले ।
दोस्तो मुझे अच्छे इंसान मिले लेकिन इसका मतलब यह नहीं , प्लेटफॉर्म पर खड़ा हर इंसान अच्छा हो , इसलिए इतना भरोसा भी मत करना जिससे आपको नुकसान पहुंचे ।
Be aware...
Wow dil ko chhu gyi
ReplyDeleteAcha ji
Delete