Saturday, September 18, 2021

Kshma Poetry

यह दुनिया ऊपरी हंसी देखती है , आंखों में छिपे आंसु नही , 

यह दुनिया कड़वे बोल सुनती है , उसके पीछे मीठी बोली नही सुनती ,

कहने को हजार लोग अपने लगते हैं , जब पीछे मुड़ के देखते हैं सिर्फ अपनी परछाई ही दिखाई देती है ,

सुख में सभी आना चाहते है , दुख में सब चले जाते हैं ,

यह दुनिया एक दर्पण की तरह है, जिसमे देखो तो अपनी प्रतिछाया, ना देखो तो कोई प्रतिछाया नही ।



By :- Kshma Rastogi

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