निकल आए उनकी गालियों से , लेकिन आज भी भटक रहे हैं उनकी यादों की गालियों में ,
दिल को समझाए है बहुत , दिल मानता नहीं अब नही साथ ,
उनकी यादों से बाहर निकलने की बहुत किए है कोशिश , लेकिन यह कोशिश कामयाब नही होती ,
मुस्कराते बहुत है लेकिन हर मुस्कुरात मुस्कान नही होती ,
होते है करीब बहुत लोग , यह दिल अकेला ही पाता है खुद को ,
ना होठों पर शिकवे ना दिल में कोई गिले ,
फिर भी दिल यूं यादों की गालियों में भटकता रहता हैं ।
By :- Kshma Rastogi
#novacollegelucknow
Kya bat h
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