नारी अपने आप में एक शक्ति है , जिसका ना कोई प्रारंभ है ना ही कोई अंत । नारी के बल का अनुमान लगाया जाना मुश्किल है , क्यूंकि नारी का बल उसकी भुजाओं में नहीं , उसके अन्दर छुपी उस शक्ति में है जो दिखाई नहीं देती लेकिन उसका परिणाम भयंकर रूप धारण करता है । नारी का अपमान करने वाला शख्स हमेशा नारी से ही हर जाता है । नारी बिन संसार अधूरा है , इतिहास के पन्नों पर जब भी नारी का अपमान हुआ , हमेशा प्रलय हुआ ।
एक पुरुष सिर्फ शरीर पर विजय प्राप्त करता है लेकिन नारी आत्मविजय होती हैं । नारी त्याग , समर्पण , ममता , दया , करुणा , प्रेम की मूरत होती है , लेकिन जब नारी अपने यह गुण त्यागती है तब विनाश होता है , नारी को किसी तलवार या किसी अस्त्र शस्त्र की आवश्कता नहीं होती , नारी जब संहार करती है तब अस्त्र शस्त्र यह निम्न हो जाते है । नारी की शक्ति का अनुमान उसकी आंखो से लगाया जा सकता है , जिसको नारी अपने अन्दर छुपाए रखती हैं , नारी की आंखें उसके प्रेम , क्रुद्ध , अहंकार , त्याग , सत्य , कुछ बयां कर देती है , नारी जिसको बयां नहीं कर पाती , वो उनकी आंखो से बयां हो जाता है । नारी की शक्ति अद्भुत होती है , नारी का अपमान करने से पहले हर किसी को सोचना चाहिए । यह समाज जिस नारी को अबला समझता है , अगर वहीं नारी अपनी ममता त्याग दे तो यह समाज क्या वह विश्व विजय कर सकती है । नारी अपने से पहले दूसरों के बारे में सोचना , फिक्र करना , उनका सम्मान करना छोड़ दे तो नारी के बारे में पुरुष बोलने से पहले सोचने लगेंगे , नारी का बल उसका त्याग , समर्पण , प्रेम , ममता , करुणा होता है ।
नारी अगर पार्वती है , तो वहीं नारी दुर्गा है , वहीं नारी महाकाली है ।
नारी सिर्फ सम्मान चाहती है , समाज में अपने लिए इज्जत चाहती है ।
नारी शक्ति भगवान से भी लड़ जाती है , भगवान को भी नारी शक्ति के सामने हार माननी पड़ती है ।
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